shiv chalisa lyrics in marathi - An Overview

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

अर्थ- हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया।

राधा चालीसा - जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

अर्थ- अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।

न कश्चित् पुत्रस्य वंचनं कर्तुम् इच्छति।

वेद नाम महिमा तव गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै get more info । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

लिङ्गाष्टकम्

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *